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सवा लाख महामृत्युंजय मंत्रो के उच्चारण से मिलेगा हर बाधा से छुटकारा महामृत्युंजय मंत्र के जाप से नहीं रहता, मृत्यु का भय दूर होती है हर बाधा

स्थान : वाराणसी और ओंकारेश्वर

By : Vedic Temple Puja

दक्षिणा शुल्क : ₹ 62,000

जाप से मिलने वाले लाभ

  • अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।
  • लंबी बीमारी भी ठीक होती है।
  • दुर्घटना की आशंका नहीं रहती है।
  • अनिष्ट ग्रहों की दृष्टि से मुक्ति मिलती है।
  • व्यक्ति की उन्नति होती है, पुत्र प्राप्ति होती है।

आवश्यक सूचना

  • हमने आपकी सुविधा के अनुसार अलग-अलग संख्या में मंत्र जाप का कार्यक्रम रखा है। यह जाप अपनी क्षमतानुसार जाप करवा सकते हैं।
  • आप 51000, 31000 मंत्रो का जाप भी हमारे पुरोहित से करवा सकते हैं। यह जाप ओंकारेश्वर मंदिर और वाराणसी के महामृत्युंजय मंदिर में करवाया जाएगा। आप अपनी इच्छानुसार दोनों में से एक मंदिर का चयन कर सकते हैं।

हमारी तरफ से दी जाने वाली सुविधाएं

  • जाप की पूरी सामाग्री हमारी तरफ से दी जाएगी। प्रसाद भी भिजवाया जाएगा।
  • आपकी विश्वसनीयता के लिए फोटो या कुछ समय की वीडियो भी आपको दिखाई जाएगी। हमारे पंडित जी ‌‌कॉल करके संकल्प करवाएंगे।

हमारी तरफ से भिजवाया जाने वाला प्रसाद

  • सुखा प्रसाद
  • अभिमंत्रित धागा
  • हवन की भस्म

ओंकारेश्वर महादेव मंदिर

ओंकारेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है, इसका निर्माण नर्मदा नदी से स्वत: हुआ था यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक है। यहां पर जाप व पूजा करवाने से भगवान शिव अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र के जाप के कारण ही ऋषि मार्कण्डेय को शिव जी ने दीर्घायु होने का वरदान दिया था।इस मंत्र को कई नामों से जाना जाता है। शिव पुराण में भी इस मंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है।

महामृत्युंजय मंत्र को वेद का हृदय कहा गया है। इसके जाप से जीवन में आने वाली हर बाधा दूर होती है।भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

सवा लाख महामृत्युंजय मंत्रो के उच्चारण से मिलेगा हर बाधा से छुटकारा महामृत्युंजय मंत्र के जाप से नहीं रहता, मृत्यु का भय दूर होती है हर बाधा

महामृत्युंजय मंत्र अर्थात् जो मृत्यु को भी टालने की क्षमता रखता हो, मृत्युंजय मंत्र इतना शक्तिशाली है कि वह न सिर्फ मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है अपितु सारे अनिष्टकारी ग्रहों को भी शांत करता है। इसे त्र्यंबकम, रूद्र, मृत संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद, यर्जुवेद में भी किया गया है। शिव पुराण में भी इसकी महिमा का वर्णन किया गया है।

महामृत्युंजय मंत्र से जुड़ी पौराणिक कथा

ऋषि मार्कण्डु के विवाह के कई वर्षों के बाद भी कोई संतान न होने के कारण वे चिंतित रहते थे। उनके भाग्य में संतान सुख नहीं था, वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्होंने भगवान शिव से तपस्या करके संतान प्राप्ति का वरदान मांगा। शिव जी प्रसन्न होकर ऋषि मार्कण्डु को यह वरदान दिया कि उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी लेकिन इस खुशी के साथ एक दुख भी है।

अगर तुम ऐसा पुत्र चाहते हो जो गुणरहित हो या ऐसा जो विलक्षण प्रतिभा का धनी हो लेकिन अल्पआयु हो। ऋषि मार्कण्डु ने कहा गुणरहित पुत्र के होने से अच्छा वह अल्प आयु वाला हो लेकिन उसमें ज्ञान का भण्डार हो। शिव जी के वरदान से ऋषि को पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम मार्कंडेय पड़ा, लेकिन उसकी आयु मात्र सोलह वर्ष ही थी। खुशी से पंद्रह वर्ष गुजर गए जैसे ही सोलवां साल लगा मार्कण्डु और उनकी पत्नी परेशान रहने लगे। मार्कंडेय ने अपने पिता से उनकी परेशानी का कारण पूछा तो उन्होंने सब कुछ बता दिया।

मार्कंडेय ने कहा पिता जी आप चिंता न करें, मैं भोलेनाथ को प्रसन्न करके अपनी मृत्यु को टाल दूंगा। यह कहकर वह जंगल में जाकर शिवलिंग की स्थापना करके उनकी आराधना करने लगे। वह समय भी आ गया जब काल उनके प्राण लेने के लिए आ गया,

महार्षि ने कहा कि वह इस समय शिव की आराधना कर रहे हैं उनके प्राण न लें लेकिन काल ने मना कर दिया। और उनके प्राणों को हरना चाहा मार्कंडेय शिवलिंग से लिपट गए। भगवान शिव उसी समय वहां प्रकट हुए और काल को वहां से जाने को कहा काल उनकी आज्ञा पाकर वहां से चला गया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें लंबी आयु का वरदान दिया।

महामृत्युंजय मंत्र को जपते समय सावधानी बरतना भी अति आवश्यक है नहीं तो इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इस मंत्र का जप करते हुए विधि-विधान का पूरा ध्यान रखना चाहिए। या किसी पुरोहित के मार्गदर्शन में ही इसे जपना चाहिए। अगर आप विधि-विधान से जप करने में सक्षम न हो तो पुरोहित जी से ही इसको करवाएं। जिससे त्रुटि की कोई संभावना न रहें। और आपको पूर्ण फल की प्राप्ति हो।

वास्तु शास्त्र

Disclamation : Vedic Temple Puja ना किसी मंदिर या ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करता है| ना किसी प्रसाद वितरण और निर्माता से जुड़ा हुआ है | हम सिर्फ स्थानीय मंदिर के पुजारियों के द्वारा आपको पूजा की सेवा उपलब्ध कराते है|