सवा लाख महामृत्युंजय मंत्रो के उच्चारण से मिलेगा हर बाधा से छुटकारा

सवा लाख महामृत्युंजय मंत्रो के उच्चारण से मिलेगा हर बाधा से छुटकारा

महामृत्युंजय मंत्र के जाप से नहीं रहता, मृत्यु का भय दूर होती है हर बाधा

महामृत्युंजय मंत्र अर्थात् जो मृत्यु को भी टालने की क्षमता रखता हो, मृत्युंजय मंत्र इतना शक्तिशाली है कि वह न सिर्फ मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है अपितु सारे अनिष्टकारी ग्रहों को भी शांत करता है। इसे त्र्यंबकम, रूद्र, मृत संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद, यर्जुवेद में भी किया गया है। शिव पुराण में भी इसकी महिमा का वर्णन किया गया है।

महामृत्युंजय मंत्र से जुड़ी पौराणिक कथा

ऋषि मार्कण्डु के विवाह के कई वर्षों के बाद भी कोई संतान न होने के कारण वे चिंतित रहते थे। उनके भाग्य में संतान सुख नहीं था, वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्होंने भगवान शिव से तपस्या करके संतान प्राप्ति का वरदान मांगा। शिव जी प्रसन्न होकर ऋषि मार्कण्डु को यह वरदान दिया कि उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी लेकिन इस खुशी के साथ एक दुख भी है। अगर तुम ऐसा पुत्र चाहते हो जो गुणरहित हो या ऐसा जो विलक्षण प्रतिभा का धनी हो लेकिन अल्पआयु हो। ऋषि मार्कण्डु ने कहा गुणरहित पुत्र के होने से अच्छा वह अल्प आयु वाला हो लेकिन उसमें ज्ञान का भण्डार हो। शिव जी के वरदान से ऋषि को पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम मार्कंडेय पड़ा, लेकिन उसकी आयु मात्र सोलह वर्ष ही थी।

खुशी से पंद्रह वर्ष गुजर गए जैसे ही सोलवां साल लगा मार्कण्डु और उनकी पत्नी परेशान रहने लगे। मार्कंडेय ने अपने पिता से उनकी परेशानी का कारण पूछा तो उन्होंने सब कुछ बता दिया।

मार्कंडेय ने कहा पिता जी आप चिंता न करें, मैं भोलेनाथ को प्रसन्न करके अपनी मृत्यु को टाल दूंगा। यह कहकर वह जंगल में जाकर शिवलिंग की स्थापना करके उनकी आराधना करने लगे। वह समय भी आ गया जब काल उनके प्राण लेने के लिए आ गया, महार्षि ने कहा कि वह इस समय शिव की आराधना कर रहे हैं उनके प्राण न लें लेकिन काल ने मना कर दिया। और उनके प्राणों को हरना चाहा मार्कंडेय शिवलिंग से लिपट गए। भगवान शिव उसी समय वहां प्रकट हुए और काल को वहां से जाने को कहा काल उनकी आज्ञा पाकर वहां से चला गया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें लंबी आयु का वरदान दिया।

महामृत्युंजय मंत्र को जपने के फायदे

  • अकाल मृत्यु की संभावना नहीं रहती है मृत्यु का भय नहीं सताता है।
  • पुरानी लंबी बीमारी भी ठीक हो जाती है।
  • अनिष्टकारी ग्रहों की बाधा दूर होती है।
  • व्यक्ति की उन्नति होती है, पुत्र प्राप्ति होती है।

महामृत्युंजय मंत्र को जपते समय सावधानी बरतना भी अति आवश्यक है नहीं तो इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इस मंत्र का जप करते हुए विधि-विधान का पूरा ध्यान रखना चाहिए। या किसी पुरोहित के मार्गदर्शन में ही इसे जपना चाहिए। अगर आप विधि-विधान से जप करने में सक्षम न हो तो पुरोहित जी से ही इसको करवाएं। जिससे त्रुटि की कोई संभावना न रहें। और आपको पूर्ण फल की प्राप्ति हो।

वास्तु शास्त्र