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ज्योतिष विद्या और विज्ञान

ज्योतिष विद्या और विज्ञान

ज्योतिष पूर्ण विज्ञान है क्योंकि हमारे सनातन संस्कृति का आधार वेद है, जो पूर्ण विज्ञान है और ज्योतिष वेदों का छठा अंग माना जाता है।

ज्योतिष विद्या लोगों को अंधविश्वास की ओर नहीं बल्कि लोगों को जागरूक करती है। ज्योतिष समय का विज्ञान है, इसके द्वारा तिथि, वार, नक्षत्र, योग और कर्म इन पांच चीजों का अध्ययन कर भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जाती है। यह किसी जाति या धर्म की पाबंद नहीं है।

वेद के छः अंग हैं, जिसमें छठा अंग ज्योतिष है। हमने पूर्व जन्म में क्या किया और वर्तमान में क्या कर रहे हैं, इसके आधार पर भविष्य के परिणाम ज्ञात किये जाते हैं। ग्रहों से ही सब कुछ संचालित होता हैं एवं ऋतुएं भी बनती हैं। सूर्य के पृथ्वी से दूर होने से ठंड बढ़ती है और पास आने पर गर्मी ।

सूर्य आत्मा के रूप में विराजमान हैं, परिवार में इसे पिता का स्थान प्राप्त है। इसी तरह चंद्रमा मन पर विराजमान रहता है, परिवार में इसे मां का दर्जा प्राप्त है। इसलिए जिस व्यक्ति ने मां-पिता का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया समझो उसने सूर्य और चंद्रमा का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया।

मंगल शरीर की ऊर्जा है, शरीर में पर्याप्त ऊर्जा है तो आपकी सक्रियता दिखेगी। जिस व्यक्ति के मन में ईर्ष्या नहीं है उसका बुध मजबूत है तथा बुध का आशीर्वाद प्राप्त है।

इसी तरह शुक्र परिवार में पत्नी की तरह और शरीर में शुक्राणु के रूप में मौजूद रहता है। जिस व्यक्ति की नसें कमजोर हैं, रिड की हड्डी में दर्द है उसके ऊपर शनिदेव का प्रकोप है।

ज्योतिष विद्या खगोलीय पिंडों के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान के साथ-साथ स्टार चार्ट जैसे वैज्ञानिक लगने वाले उपकरणों का उपयोग भी है। कुछ लोग भविष्य की घटनाओं और लोगों के व्यक्तित्व के बारे में अपेक्षाएँ उत्पन्न करने के लिए ज्योतिष का उपयोग करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे वैज्ञानिक विचार अपेक्षाएँ उत्पन्न करते हैं।

वास्तु शास्त्र